पूर्वज

 

कभी कभी शाम के वक़्त

जब कई लोग दफ़्तर से लौटते हैं,
जब सब्जी वाली की टोकरी में 
धनिये के पत्ते की सिर्फ गंध रह जाती है,
जब कई आशिको के ख्वाब सड़को पे गश्त लगाते हैं
जब किसी बच्चे की मुस्कुराहट गर्म हो कर चनकती है,
ठीक उसी वक़्त शाम की 
गुनगुनाहट लिए आते हैं पूर्वज  

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