बारिश के बाद
मेरी सीढियों पे कल की बारिश के बाद
अलसाये पत्ते बिखरे थे,
तुम शाम की गंध से मेरे भीतर
अलसाये अजगर से लिपटे रहते हो,
कटे नाखूनों से, घटते चाँद से तुम ओझल हो रहे हो,
बातो के टुकडो की चुभन मुट्ठी में समेटे,
खामोश, उस झील के किनारे खड़े
जहाँ आखों की पुतलियो सी काली रात में कापते घास बनते है मछलियों का भोजन,
और मछ्लीयाँ, उस भेडिया का जो निष्ठुरता का
परिचय है
badhiya shuruvat..
ReplyDeleteduniya ka naara.. lage raho!