आवाज़

मैंने काफी आवाजों को
मुट्ठी मैं क़ैद कर रखा है,
फिसलते है गिरहो से आवाज़ कई टुकड़े
लोगो के झुरमुट में जा छुपते 
सूरज के साथ उगते सुर्ख लाल,
मेरी भ्रिकुटियों के बीच
आ सिमटते 

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